माँ के कंधे पर सर रख के पूछा माँ कब तक अपने कंधे पर सोने देगी ?



माँ ने कहा की जब तक मुझे अपने काँधे पर न उठा ले !!

जरा-सा झूठ ही लिख दो कि तुम बिन दिल नही लगता...


हमारा दिल बहल जाए तो तुम फिर से मुकर जाना !
उम्र के मायने हर जगह नहीं चलते जनाब,

 उम्र तजुर्बे की हो सकती है मुहब्बत की नहीं. .
मुश्किल नहीं है कुछ दुनिया में, तू जरा हिम्मत तो कर…,


 खवाब बदलेगें हकीकत में.. तू ज़रा कोशिश तो कर।
इतनी चाहत तो लाखो रुपए पाने की भी नही होती.. ,


जितनी बचपन की तस्वीर देख कर बचपन में जाने की होती हैं
“हुनर” सड़कों पर तमाशा करता है,


 और “किस्मत” महलों में राज करती है!!
जो देखता हूँ वही बोलने का आदी हुँ,

मैं अपने शहर का सब से बडा फसादी हुँ 
જિંદગી એટલે...

ભૂતકાળની ચમચીમાં...

ભવિષ્યનું લીંબુ લઈને...


વર્તમાનમાં દોડવું...!!
દીકરી એટલે શું?


આખા દિવસ ના મનથી થાકેલા પિતાની **સાંજની** હાસ્ય કલાકાર છે..
જિંદગીમા આ લાગણી નો પ્રશ્ન બહુ અઘરો છે સાહેબ,


જવાબ મુદાસર માંગે ને માર્ક્સ ઓછા છે.!
શુ કરીશું આપણે Free unlimited Outgoing Calls નું...??

લાંબી વાત કરી શકાય, એવા RELATIONS જ ક્યાં રહ્યાં છે જીવનમાં....!!
रोशनी चिरागों से ही हो ये जरूरी तो नहीं,


बेटियां भी घर में खूब उजाला करती हैं।
एक राज की बात बताये किसी को बताना नही,


इस दुनिया मे अपने सिवा कुछ भी अपना नही होता..

રોગ લાગ્યો ખરાબ સાહેબ આ શાયરી નો,

મોંઘવારી માં વધી ગયો ખર્ચો ડાયરી નો...
फिर ख़्वाहिशों को कोई सराए न मिल सकी,


इक और रात ख़ुद में ठहरना पड़ा मुझे!
🌹તું અતિથિ બની ને જ આવીજા ને ફરી.....

મારે ને તિથિને કોઇ લેવાદેવા નથી.🌹
ઉનાળો ક્યારે આવે?
જ્યારે કેરી આવે ત્યારે! નઈ
જ્યારે ગરમી પડે ત્યારે! નઈ
તો
જ્યારે રસોડા માથી અવાજ આવે કે.......
ખાલી બાટલા ભરીને મુક્તા શીખો।😂😂🤣🤣🤣😝😝😝😄😅😅😅😜😜😛😛🤣
वो मुस्कुराहट.. धुंधली सी होने लगी हैं..

शायद झुर्रियों ने उसके चेहरे पर.. अपनी जगह बनाना शुरू कर दी हैं...
पता नहीं उनको किस बात की नाराज़गी हैं...


वो बात ही नहीं करना चाहते या ये उनकी सादगी हैं

लगता हैं हम में ही कुछ ख़ामी हैं...


फिर भी उनके जवाब की उम्मीद बाकि हैं..
ख़ुशी किसी को दे सको ,वो मुस्कुराहट अपने पास रखो,

आंसू किसी के पोंछ सको , वो रुमाल अपने हाथ में रखो
सुना है तुमने भी बस्ती नयी बसा ली है,


उस पुराने पते पे ,हम भी अब नहीं रहते !

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....