इतनी चाहत तो लाखो रुपए पाने की भी नही होती.. ,
जितनी बचपन की तस्वीर देख कर बचपन में जाने की होती हैं
जितनी बचपन की तस्वीर देख कर बचपन में जाने की होती हैं
ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....
No comments:
Post a Comment