कुछ बेमन सी मैं , बेख़यालों में खयाल उसका कर बैठी,

दूर जाने की सोची थी , पर और पास आ बैठी

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....