तेरे "रुख़्सार" पर ढले हैं मेरी "शाम" के "किस्से....!!

"ख़ामोशी" से "मागी हुई "मोहब्बत" की"दुआ" हो तुम....!!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....