बस थोड़ा सा सुस्ताए थे बच कर दुनियादारी से, 

एक पुराना ख़्वाब मिल गया आँखों की अलमारी से..!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....