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बस एक करवट ज्यादा ले लूं किसी रोज़ सोते वक़्त..
माँ आज भी आकर पूछ लेती है बेटा,तबियत तो ठीक है..
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इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ,
कहीं ऐसा न हो जाए कहीं वैसा न हो जाए.....!
हफिज जांलधरी...........📝
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ऐ मिरी जान अपने जी के सिवा,
कौन तेरा है कौन मेरा है।
हफिज जांलधरी............📝
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ख़ुद-परस्ती ख़ुदा न बन जाए......
एहतियातन गुनाह करता हूँ.....
अकबर हैदराबादी.............📝
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अब किसी से भी शिकायत न रही,
जाने किस किस से गिला था पहले।
निंदा फाजली............📝
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अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं,
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं।
निंदा फाजली.............📝
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सादिक़ हूँ अपने क़ौल का 'ग़ालिब' ख़ुदा गवाह,
कहता हूँ सच कि झूट की आदत नहीं मुझे।
मिर्ज़ा ग़ालिब............📝
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इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा,
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
मिर्ज़ा ग़ालिब...........📝
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ज़रा उन की शोख़ी तो देखना लिए ज़ुल्फ़-ए-ख़म-शुदा हाथ में,
मेरे पास आए दबे दबे मुझे साँप कह के डरा दिया।
नवाब सुल्तान जहाँ बेगम..........
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साथ शोख़ी के कुछ हिजाब भी है,
इस अदा का कहीं जवाब भी है.....
दाग़ देहलवी............📝
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आइना देख कर वो ये समझे,
मिल गया हुस्न-ए-बे-मिसाल हमें।
बेख़ुद देहलवी.............📝
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आईन-ए-जवाँ-मर्दां हक़-गोई ओ बे-बाकी,
अल्लाह के शेरों को आती नहीं रूबाही।
आलामा इक़बाल..........📝
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अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी,
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन।
आलामा इक़बाल.........📝
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हिचकियाँ रात दर्द तन्हाई,
आ भी जाओ तसल्लियाँ दे दो।
नासिर जौनपुरी...........📝
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वोह एक रात का "मुसाफिर"चैन तो ले गया,
हिज्र के निबाह के लिए दर्द बेशुमार दें गया।
मुसतन मुसाफीरर...........📝
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बेचैन इस क़दर था, सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था, तेरा नाम चाँद पर!
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*❤❤सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो*
*❤❤ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो*
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खाते रहे फरेब, संभलते रहे कदम,
चलते रहे जुनूं का सहारा लिये हुए।
शारक मेरठी..........📝
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मैं हुआ बर्बाद अपने शौक से,
आप पर तो मुफ्त का इल्जाम है।
शंकर जौधपुरी..........📝
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इनके पीछे न चलो, इनकी तमन्ना न करो,
साये फिर साये हैं, कुछ देर में ढल जायेंगे।
शहरयार सहाब.........📝
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