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दिलों में रहता हूँ, धड़कने रोक देता हूँ,

मैं इश्क़ हूँ,

वजूद की धज्जियां उड़ा देता हूँ...

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मै उसकी चादर होना चाहता हूं..
उसकी हर करवट का निशान खुद पे चाहता हूं..

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वैसे तो रौशनी के लिए क्या नही किया।
लेकिन किसी चराग़ पे कब्ज़ा नही किया

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मैं भी ज़ख्म-ज़ख्म मेरा दिल भी दागदार,
मुझ पर भी दोस्तों की नवाजिश बहुत हुयी..

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ग़ैर को या रब वो क्यूँकर मन-ए-गुस्ताख़ी करे,
गर हया भी उस को आती है तो शरमा जाए है।

मिर्ज़ा ग़ालिब............📝

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अब जो इक हसरत-ए-जवानी है,
उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है।

मीर तक़ी मीर............📝

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क्या याद कर के रोऊँ कि कैसा शबाब था,
कुछ भी न था हवा थी कहानी थी ख़्वाब था।

माधव राम जौहर............📝

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रंगे-जा-मे "खुं" के साथ ईश्क बसर करता है,
शाद "फुहाद"में उनका अक्स दिखता है।

मुसतन मुसाफीरर.........📝

रंगे-जा :- सबसे बड़ी नस जो दिल में जाती है,
खुं:-खुन
फुहाद:-दिल
शाद:-खुशी,

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कर्म भूमि की दुनिया में,
श्रम सभी को करना पड़ता है..!

भगवान सिर्फ लकीरें देता है,
रंग हमें ही भरना पड़ता है..!!

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अहमियत आपकी क्या है, बता नही सकते,
रिश्तां क्या है, आपसे समज़ा नही सकते,
आप हमारे लिए इतने खास हो की,
अगर आप हो उदास तो हम मुस्कुरा नही सकते.

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वक़्त किसी का नहीं......

बाजार में उन नोटों को
भी बिकते देखा...

जो कभी पूरा बाजार खरीदने की
ताकत रखते थे. . .!!!

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*उँगलियाँ ही निभा रही हैं मोबाइल पे रिश्तों को आजकल..*
*ज़ुबाँ को अब निभाने में बड़ी तक़लीफ़ होती है !*

*सब टच में बिजी है..*
*भले ही टच में कोई न हो !!*

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* हुनर तो सब में होता हैं फर्क बस इतना होता हैं किसी का *छिप* जाता हैं तो किसी का *छप* जाता हैं.

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 अच्छे काम करते रहिये चाहे लोग तारीफ करें या न करें आधी से ज्यादा दुनिया सोती रहती है ‘सूरज’ फिर भी उगता हैं.

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....