*ये मेरा फ़र्ज़ बनता है , "साहब" मैं उसके हाथ धुलवाऊँ...*
*सुना है उसने, मेरे नाम पर कीचड़ उछाला है* ....

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....