*किसने कहा,*
*बढती उम्र,सुंदरता को,*
*कम करती है,*

*ये तो बस..........*

*चेहरे से उतरकर*, 
*दिल में आ जाती है!!

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....