में हूँ अश्क तुम्हारी आँखों का जब जी चाहे बहा देना...,

एक लफ्ज़ हूँ तुम्हारी कहानी का ना याद रख सको तो...भुला देना।.


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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....