जाने क्या तलाश रहा था.., की इतनी दूर निकल आया.., 

की अब घर दीखता ही नहीं.., न राह दिख रही है वापसी की..!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....