अक्स चाँद का झील में देख कर ,चांदनी ने ये कहा,

क्या उतर कर नहा लूँ मैं भी , तुझ संग ओ पिया

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....