निग़ाहों से कत्ल कर डालो न हो तकलीफ़ दोनों को,

तुम्हें खन्जर उठाने की हमें गर्दन झुकाने की

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....