सोचता हूँ कि गिरा दूँ सभी रिश्तों के खण्डहर,

इन मकानों से किराया भी नहीं आता है 

#मुनव्वर_राना

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....