इस शहर के अंदाज़ भी अजब हैं साहब,

गूंगों से कहा जाता है बहरों को पुकारो..!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....