मिट्टी की बनी हूँ महक उठूगी..,

बस तू इक बार बेइन्तहा 'बरस' के तो देख

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....