काँटों और चाकु का तो नाम ही बदनाम है…


चुभती तो निगाहें भी है और काटती तो जुबान भी है...!!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....