बड़ी बेबाकी से वो मेरी नियत पे सवाल कर देते हैं, 

खता मेरी भी है कि हमने उनकी कयी खतायें माफ़ की हैं.......!!!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....