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ग़ैर को या रब वो क्यूँकर मन-ए-गुस्ताख़ी करे,
गर हया भी उस को आती है तो शरमा जाए है,
मिर्जा गांलिब..........📝
ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....
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