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   आदम का जिस्म जब कि अनासिर से मिल बना ,

   कुछ आग बच रही थी , सो आशिक़ का दिल बना 🍁

                    (अनासिर = पंचभूत )
           क्षिति , जल , पावक , गगन , समीर

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....