Best place to copy paste shayries for whatsapp, twitter and Facebook
🍁 आदम का जिस्म जब कि अनासिर से मिल बना ,
कुछ आग बच रही थी , सो आशिक़ का दिल बना 🍁
(अनासिर = पंचभूत ) क्षिति , जल , पावक , गगन , समीर
ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....
No comments:
Post a Comment