स्याही की तासीर का अंदाज़
देखिये :
खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़...बनाती है।
और जब कोई बिखेरता है, तो
अलफ़ाज़...बनाती है॥

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....