रफ़ू क्यूँ कर रहे हो जब इसे फ़िर चाक होना है।
ये मिट्टी का बदन मिट्टी की ही ख़ूराक होना है।।
ये मिट्टी का बदन मिट्टी की ही ख़ूराक होना है।।
ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....
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