वो सब बेरंग है जो ढूँढ़ते व्यापार होली में,
विजेता हैं जिन्हें स्वीकार है हर हार होली में, 
मैं मन्दिर ने निकल जाऊँ, तुम मस्जिद से निकल आना 
तो मिलकर हम लगायेंगे, गुलाल -ए- प्यार होली में...!! 
  Dr. Kumar Vishwas

तुम कागजों पर और भी खूबसूरत दिखते हो,

यकीन नहीं तो मेरी चंद शायरी पढ लो..!!!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....