बदन से बहने वाले खून का रंग तो लाल ही था,

न जाने क्यूँ वो फिर भी रंगों को लेकर झगड़ते है

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....