*लोगों ने कई कोशिश की मुझे मिट्टी में दबाने की...,*

*लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि ‘‘मैं बीज हूँ"...*
*आदत है मेरी बार-बार उग जाने की...*

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....