*रिश्ता रहा अजीब मेरा ज़िंदगी के साथ*

 *चलता हो जैसे कोई किसी अजनबी के साथ*
मेरी आँखों के जादू से अभी तुम नावाकि़फ़ हो,

हम उसे जीना सिखा देते हैं जिसे मरने का शौक़ हो

दूसरों के काम बिगाड़ने वाले लोग एक ढूंढने पर हजारों मिल जाते हैं, 

लेकिन दूसरों के काम बनाने वाला हजारों में कोई एक होता है.
कुचल कुचल के न फुटपाथ को चलो इतना ,

यहाँ पे रात को मज़दूर ख्वाब देखते हैं
ज़िंदगी बर्ताव उससे नौकरों सा करती है!


टेक देता है जो घुटने ज़िंदगी के सामने!

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....