दिखावे की आंधी में कुछ यूं उड गये संस्कार हमारे,

कुत्ते सौफा की शान बन गये यारा ,बुढ्ढे तरसे बिस्तर को बेचारे...

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....