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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....
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कुछ बेमन सी मैं , बेख़यालों में खयाल उसका कर बैठी, दूर जाने की सोची थी , पर और पास आ बैठी
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*मेरा दर्द तो ..... सिर्फ मेरा खुदा जानता हैं,* *तुमने तो सिर्फ...... मेरी मुस्कान देखी है...!*
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शुक्र है परिंदो को नहीं पता कि उनका मज़हब क्या है... , वरना रोज़ आसमान से खून की बारीश होती... 🙏
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