चल मिलकर प्लान करते है और चल प्लान करके मिलते हैं के बीच कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला।

चल ग्राउंड पर आजा और चल ऑनलाइन आजा के बीच कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला।

दिखाने के जोर से रोना छुपाने के लिए छुप कर रोने के बीच कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला।

मैं बड़ा होना चाहता हूँ और मैं बच्चा बन न चाहता हूँ के बीच कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला।

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....