बहुत ढूढने पर भी अब अल्फाज नहीं मिलते ........
अहसासों को शायद पनाह कलम की गंवारा नहीं ........
*--श्रीमती सावित्री सिन्हा जी.*

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....