बोझ होता जो ग़मों का तो ऊठा भी लेते
जिन्दगी बोज़ बनी हो तो ऊठाए कैसे
-नक़्श ल्यालपुरी

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....