*रोज घर से निकलते वक्त ये मसला बड़ा हो जाता है*
*कौन-सा चेहरा पहन कर निकलें*
*ये सवाल खड़ा हो जाता है।*



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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....