दूसरों की छांव में खड़े रहकर...हम अपनी परछाई खो देते हैं...अपनी परछाई के लिये...हमें धूप में खड़ा होना पड़ता है...सुप्रभात

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....