महफ़िल तेरी कभी हम न रहेगें "मुसतन"
एक सच्चे ईन्सान की तेरे दिल में तुर्बत सदा रहैगी,
मुसतन मुसाफिरर.........
तुर्बत = मकबरा,मजार,


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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....