नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए,
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है...
मीर तक़ी मीर..........

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....