हथेली पर रखकर नसीब, तु क्यो अपना मुकद्दर ढूँढ़ता है;
सीख उस समन्दर से, जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है!

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....