ज़िन्दगी के इस कश्मकश में वैसे तो मैं भी काफ़ी बिजी हुँ लेकिन वक़्त का बहाना बना कर अपनों को भूल जाना मुझे आज भी नहीं आता .

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....