यूँ तो लिखने के लिए क्या नहीं लिखा मैंने.. 

फिर भी जितना तुझे चाहा, कभी नहीं लिखा मैंने..

ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....