चलो अच्छा हुआ, जो तुम मेरे दर पे नहीं आए ,

तुम झुकते नहीं, और मै चौखटें ऊंची कर नही पाता 

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....