थोड़ा समझा लेता हूँ,थोड़ा संभल जाता है !

गुस्सा ही तो है..वक़्त के साथ पिघल जाता है !!

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....