उसका वादा भी बडा अजीब था जिंदगी भर साथ निभाने का..
मैंने भी ये नहीं पूछा कि मुहब्बत में साथ दोगे या यादों में

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....