रोज़ संभाल कर रखता हूँ, तेरी यादों की पोटली दिल-ए-अलमारी में,
रोज़ रात तन्हाई नजाने क्या टटोलती है इन्हें बिखेर कर...

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ये राहें ले जायेंगी मंज़िल तक.... हौसला रख ए मुसाफ़िर.... कभी सुना है क्या.... अंधेरे ने सवेरा होने ना दिया.....